ज्योति प्रकाशित पथ दे माँ ज्योति प्रकाशित पथ दे माँ
अंचरा के छाँव राखा दियवा के जार राखा , हियरा में ज्योति दा अपार माई शारदा। अंचरा के छाँव राखा दियवा के जार राखा , हियरा में ज्योति दा अपार माई शारदा।
कलाप्रवीणा विशारदा सा मम प्रिया॥ शास्त्रर्थे गार्गी मनीषा सा मम प्रिया॥ कलाप्रवीणा विशारदा सा मम प्रिया॥ शास्त्रर्थे गार्गी मनीषा सा मम प्रिय...
माँ से ही संसार है, माँ ही तारनहार। माँ जगजननी शारदा, जग की खेवनहार।। माँ से ही संसार है, माँ ही तारनहार। माँ जगजननी शारदा, जग की खेवनहार।।
चढ़ गयी मैं तो दरश के,आशा लेके, ऊँचा पहाड़ रे की अँखियों से.. माता भवानी ककी .. मैहर वाली शारदा माई... चढ़ गयी मैं तो दरश के,आशा लेके, ऊँचा पहाड़ रे की अँखियों से.. माता भवानी ककी .. ...
पूरी चिठ्ठी पढी़ तो तब समझ मैं पाई, अरे, यह तो माँ शारदे की चिठ्ठी है आई। पूरी चिठ्ठी पढी़ तो तब समझ मैं पाई, अरे, यह तो माँ शारदे की चिठ्ठी है आई।